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समाज सेवा शिविर
कक्षा 11 उतीर्ण सभी विद्यार्थियों को करना अनिवार्य
समाज सेवा योजना मूल्यांकन प्रपत्र
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2. उद्देश्य -
कक्षा ग्यारह उत्तीर्ण विद्यार्थियों द्वारा ग्रीष्मावकाश में समाज सेवा करने के उद्देष्य निम्नलिखित हैं -
☞ विद्यार्थियों को समाजिक जीवन से सरोकार करवाना।
☞ विद्यार्थियों को निःस्वार्थ भाव से सेवा करने हेतु प्रेरित करना।
☞ विद्यार्थियों में सामाजिक दायित्व और सद्नागरिक के भाव विकसित करना।
☞ विद्यार्थियों में सामुदायिक समस्याओं के प्रति संवेदनषीलता विकसित करना।
☞ विद्यार्थियों में सामूहिक जीवन जीने का कौशल उत्पन्न करना।
☞ विद्यार्थियों को सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता निभाने हेतु तैयार करना।
☞ विद्यार्थियों में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आदर भाव उत्पन्न करना।
☞ विद्यार्थियों में पारस्परिक सहयोग की भावना पैदा करना।
☞ विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता की भावना पनपाना।
☞ विद्यार्थियों में श्रम के प्रति निष्ठा प्रतिष्ठापित करना।
3. विद्यार्थियों का चयन
राजकीय/अनुदानित/गैर अनुदानित उच्च माध्यमिक विद्यालयों से कक्षा ग्यारह उत्तीर्ण विद्यार्थियों द्वारा ग्रीष्मावकाश में समाज सेवा की गतिविधियों में अनिवार्यतः भाग लिया जायेगा। एन.एस.एस. से जुड़े विद्यार्थी इससे मुक्त रहेंगे।
4. समाज सेवा की गतिविधियाँ -
विद्यार्थियों द्वारा समाज सेवा से संबंधित अग्रांकित मुख्य-मुख्य गतिविधियों में सहभागिता निभाना प्रस्तावित है- राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव, परिवार कल्याण, पर्यावरण संवर्द्धन एवं संरक्षण, साक्षरता के प्रति जाग्रति, मतदान के प्रति संचेतना, कानूनी साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण, अल्प बचत, सरकारी योजनाओं की जानकारी, प्राथमिक उपचार का ज्ञान, यातायात नियम, प्राकृतिक आपदाओं में सावधानियाँ, ऋण उपलब्धता, अन्धविष्वासों का उन्मूलन, सामाजिक बुराइयों का निवारण, बुक बैंक की स्थापना, वाचनालय की व्यवस्था, चल पुस्तकालय का संचालन, विद्यालय भवन का सौंन्दर्यीकरण, सार्वजनिक स्थल की सफाई, सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण, विकासात्मक कार्य, बीमारों की सेवा-सुश्रूषा, लाचार व्यक्तियों की सेवा, निरक्षरों के पत्र पढ़ना-लिखना, सार्वजनिक स्थल पर जल सेवा, समारोह-उत्सव में सहयोग, क्रीड़ा केन्द्र का संचालन, वस्तुओं का निर्माण, सर्वेक्षण का कार्य आदि। इसके अलावा भी उपलब्ध संसाधनों एवं स्थानीय आवष्यकताओं के मद्दे नजर अन्य गतिविधियों का चयन भी किया जा सकता है।
5. संस्था प्रधान के दायित्व -
विद्यार्थियों द्वारा समाज सेवा की क्रियान्विति करने के लिए संस्था प्रधान की मुख्य भूमिका होगी। इसके लिए उनके निम्नलिखित दायित्व होंगे -
☞ समाज सेवा की गतिविधियों के संचालन हेतु विद्यालय स्तर पर योग्य व्याख्याता/वरिष्ठ अध्यापक को प्रभारी षिक्षक के रूप में नियुक्त करना।
☞ प्रभारी षिक्षक को भी विद्यार्थियों के किसी एक दल का दलनायक षिक्षक अनिवार्यतः नियुक्त करना।
☞ प्रभारी षिक्षक एवं दलनायक षिक्षकों के साथ सभी षिक्षकों की एक दिवसीय बैठक वार्षिक परीक्षा से पूर्व आयोजित कर उन्हें समाज सेवा की कार्य योजना की जानकारी उपलब्ध करवाना।
☞ विद्यार्थियों के समक्ष प्रार्थना सभा में समाज सेवा के महत्व पर प्रकाश डालना।
☞ कार्य योजना के सुसंचालन एंव सफलता हेतु षिक्षक अभिभावक परिशद्, विद्यालय विकास समिति और जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित कर बैठक का आयोजन करना।
☞ स्थानीय अथवा आस-पास में स्थापित अन्य विभागों के अधिकारियों को आमंत्रित कर उनसे सहयोग प्राप्त करना।
☞ ग्रीष्मावकाश में उपस्थित नहीं रहने से ग्रीष्मावकाश से पूर्व समस्त कार्य योजना बनाकर उसकी क्रियान्विति सुनिष्चित करना।
☞ राजस्थान सेवा नियमों के अनुसार ग्रीष्मावकाश में कार्य करने वाले प्रभारी षिक्षक प्रत्येक दलनायक षिक्षक का उपार्जित अवकाश का लाभ स्वीकृत करना।
☞ विद्यार्थियों की मूल्यांकन के आधार पर प्राप्त श्रेणियां सचिव, माध्यमिक षिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर को सत्रांक के साथ अनिवार्यतः प्रेषित करना।
6. प्रभारी शिक्षक के दायित्व
विद्यार्थियों द्वारा समाज सेवा की क्रियान्विति करने के लिए प्रभारी षिक्षक के निम्नलिखित दायित्व होंगे -
☞ व्याख्याता/वरिष्ठ अध्यापकों में से अधिकतम 50 विद्यार्थियों पर एक दलनायक षिक्षक का चयन करना।
☞ विद्यार्थियों के किसी एक दल के दलनायक को षिक्षक के रूप में भी कार्य करवाना।
☞ विद्यार्थियों द्वारा चयनित गतिविधियों के आधार पर दलनायक षिक्षकों के साथ मिलकर समाज सेवा की समग्र कार्य योजना बनाना।
☞ कार्य योजना की क्रियान्विति हेतु आवष्यक संसाधनों की व्यवस्था करना।
☞ समाज सेवा सम्बधी सभी प्रकार की आवष्यक बैठकों का आयोजन करवाना।
☞ समाज सेवा संबंधित सभी प्रकार के अभिलेखों यथा कार्य योजना, विद्यार्थी दैनिक डायरी, मूल्यांकन प्रपत्र आदि का संधारण करना।
☞ विद्यार्थियों का समग्र मूल्यांकन सचिव, माध्यमिक षिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर को प्रेषित करने हेतु अभिलेख तैयार करना।
☞ संस्था प्रधान के निर्देषों का पालना करना।
7. दलनायक शिक्षक के दायित्व
विद्यार्थियों द्वारा समाज सेवा की क्रियान्विति करने के लिए दलनायक षिक्षक के निम्नलिखित दायित्व होंगे -
☞ दल के विद्यार्थियों को समाज सेवा की गतिविधियों का चयन करवा कर प्रभारी षिक्षक को उपलब्ध कराना।
☞ दल के प्रत्येक विद्यार्थी से कार्य योजनानुसार समाज सेवा करवाना।
☞ दल के प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा सम्पादित कार्यों का परिवीक्षण करना।
☞ दल के प्रत्येक विद्यार्थी से दैनिक डायरी संधारित करवाना।
☞ दल के प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा प्रति दिन सम्पादित कार्य को उसकी डायरी में अंकित करवा कर हस्ताक्षर करना।
☞ दल के प्रत्येक विद्यार्थी से दैनिक डायरी प्राप्त कर प्रभारी षिक्षक को जमा कराना।
☞ प्रत्येक विद्यार्थी का समाज सेवा की क्रियान्विति का मूल्यांकन कर 31 जुलाई तक प्रभारी षिक्षक को उपलब्ध कराना।
☞ संस्था प्रधान एवं प्रभारी षिक्षक के निर्देषों का पालन करना।
8. विद्यार्थी के दायित्व
विद्यार्थी द्वारा समाज सेवा की क्रियान्विति करने के लिए उसके निम्नलिखित दायित्व होंगे -
☞ ग्रीष्मावकाश में दो सप्ताह तक अनिवार्यतः समाज सेवा करना।
☞ समाज सेवा की क्रियान्विति हेतु वांछित सामग्री स्वयं द्वारा जुटाना।
☞ समाज सेवा की क्रियान्विति के समय पूर्णतः अनुषासन बनाए रखना।
☞ प्रति सप्ताह दो गतिविधियों के आधार पर दो सप्ताह के लिए चार गतिविधियों का चयन कर उनकी क्रियान्विति करना।
☞ प्रति दिन डायरी संधारण कर किए गए कार्य का संबंधित व्यक्ति, किसी जन प्रतिनिधि/दलनायक षिक्षक से सत्यापन करवाने हेतु हस्ताक्षर करवाना।
☞ अपनी डायरी कार्य समाप्ति पर दलनायक षिक्षक को जमा कराना।
☞ संस्था प्रधान/प्रभारी षिक्षक/दलनायक षिक्षक के निर्देषों का पालन करना।
9. गतिविधियों का प्रबन्धन
संस्था प्रधान और प्रभारी षिक्षक को उपलब्ध संसाधनों, स्थानीय आवष्यकताओं एवं विद्यार्थियों की रुचि अनुकूल चयनित गतिविधियों को ग्रीष्मावकाश से पूर्व सुनिष्चित करना है तथा इसके लिए समग्र कार्य योजना का निर्माण भी किया जाना है। समाज सेवा का कार्य करने हेतु विद्यालय परिसर अथवा गाँव / शहर में षिविर भी लगाया जा सकता है। षिविर पर होने वाले व्यय को वहन करने हेतु स्थानीय भामाषाहों को प्रेरित किया जा सकता है अथवा विद्यालय विकास समिति से सहयोग लिया जा सकता है। इसके अलावा विद्यार्थी स्वयं भी अपने स्तर पर खाद्य एवं अन्य वांछित सामग्री जुटायेंगे। कार्य योजना के अनुसार गतिविधियों का संचालन नीचे उल्लेखित कार्यक्रम के अनुसार 17-31 मई तक दो सप्ताह के लिए प्रतिदिन करना है। प्रतिदिन के कार्यक्रम का समय प्रातः 7ः00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक का रहेगा । प्रत्येक विद्यार्थी अल्पाहार अपने घर से साथ लायेगा।
प्रतिदिन का कार्यक्रम
प्रातः 7:00 से 8:00 बजे तक - प्रार्थना, कार्य स्थल/षिविर की सफाई व्यायाम ।
प्रातः 8:00 से 11:00 बजे तक - गतिविधि का संचालन
प्रातः 11:00 से 11:30 बजे तक - अल्पाहार एवं विश्राम
प्रातः 11:30 से 11:45 बजे तक - समीक्षा
प्रातः 11:45 से 12:00 बजे तक - अगले दिन की कार्य योजना का निर्माण
10. गतिविधियों की क्रियान्विति
विद्यार्थियों से नीचे उल्लेखित में से किन्हीं चार गतिविधियों का प्रभारी षिक्षक के मार्गदर्षन में चयन कर 17-31 मई तक क्रियान्विति अपेक्षित है। प्रत्येक गतिविधि के क्रियान्विति के चरण निम्नानुसार हैं -
10.1 राकट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों में राष्ट्रीय एकता एवं सामुदायिक सद्भाव बढ़ाने हेतु सर्वधर्म प्रार्थना सभा, शान्ति यात्रा, प्रभात फेरी, रैली, प्रदर्षनी, व्याख्यान, संगोष्ठी, परिचर्चा आदि का आयोजन किया जा सकता है।
☞ युवाओं द्वारा महापुरुषों के क्रियाकलापों पर चर्चा करवाना।
☞ जन प्रतिनिधियों/संभ्रान्त वरिष्ठ नागरिकों द्वारा महापुरुषों की जीवनियों पर प्रकाश डलवाना।
☞ महापुरुषों की जीवनियों, प्रेरक प्रसंगों, आदर्ष वाक्यों आदि की पोस्टरों द्वारा प्रदर्षनी लगाना।
☞ नागरिकों की सहायता से प्रदर्षनी के आधार पर बǔचों के लिये प्रष्नोšार कार्यक्रम का आयोजन करना।
☞ प्रभात फेरी द्वारा प्रेरक एवं आदर्ष वाक्यों का उद्घोश करना एवं चौपाल पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन करना।
☞ महापुरुषों पर आधारित विचित्र वेशभूषा प्रतियोगिता का आयोजन करना।
☞ स्थानीय/राज्यों की सांस्कृतिक धरोहरों का चित्रों के माध्यम से नागरिकों को परिचय करवाना।
10.2 परिवार कǔयाण - विद्यार्थियों द्वारा देश में बढ़ती जनसंख्या की रोकथाम हेतु नागरिकों में परिवार कल्याण योजना का महत्व प्रतिपादित किया जा सकता है। इसके लिए छोटे परिवार और बड़े परिवार के मध्य तुलना कर नागरिकों को समझाया जा सकता है।
☞ बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों की जानकारी देना ।
☞ सर्वे के माध्यम से छोटे-बड़े परिवारों की जानकारी प्राप्त कर तुलनात्मक अध्ययन करते हुए छोटे परिवार के लाभ एवं बड़े परिवार के दुष्प्रभावों की जानकारी देना।
☞ छोटा परिवार सुखी परिवार के दूरगामी परिणामों से अवगत कराना।
☞ छोटे परिवार के लिये राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं की जानकारी देना ।
☞ स्थानीय नागरिकों के लिये जनसंख्या प्रष्नोšारी कार्यक्रम का आयोजन करना।
10.3 पर्यावरण संवर्द्धन एवं संरक्षण - विद्यार्थियों द्वारा पर्यावरण संवर्द्धन एवं संरक्षण हेतु प्रत्येक नागरिक को सचेत करना है। विद्यार्थी स्वयं वृक्षारोपण कर हरीतिमा को समृद्ध कर सकते हैं। पौधों की रक्षा करने हेतु टी-गार्ड लगाना, वाटिका का निर्माण करना आदि कार्यक्रमों को अपनाया जा सकता है।
☞ नागरिकों को पोस्टर/प्रदर्षनी द्वारा स्वǔछ पर्यावरण के प्रति जागरूक करना।
☞ समाज सेवी संस्थाओं अथवा वन विभाग के सहयोग द्वारा आवष्यक स्थान वृक्षारोपण करना।
☞ रोपित पौधे की देखभाल के लिए टी-गार्ड लगाना।
☞ रोपित पौधों की देखभाल के लिए उन्हें स्थानीय नागरिकों के सुपुर्द करना।
☞ स्वǔछता अभियान चलाना जिसके अन्तर्गत गड्ढ़ों को भरना, गंदे पानी को इकट्ठा नहीं होने देना, स्थानीय नागरिक/जन प्रतिनिधि के सहयोग से गंदे पानी के निकास की व्यवस्था करना, पोलिथिन के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी से अवगत कराना आदि।
☞ लकड़ी के चूल्हे के स्थान पर गोबर गैस, सोलर चूल्हे की उपयोगिता की जानकारी देना।
☞ स्थानीय इको-क्लब का वृक्षारोपण में सहयोग प्राप्त करना।
10.4 साक्षरता के प्रति जाग्रति - विद्यार्थियों द्वारा 6-14 वर्ष और 15-35 वर्ष के व्यक्तियों को साक्षर किया जा सकता है। षिक्षा के संबंध में नागरिकों में नुक्कड़ नाटकों, लोक गीतों, समूह गीतों, रैली, प्रभात फेरी के माध्यम से जाग्रति पैदा की जा सकती है।
☞ सर्वे कर निरक्षरों का पता लगाना।
☞ नागरिकों को साक्षरता के प्रति जागरूक करना।
☞ सरकार की साक्षरता से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी नुक्कड़ नाटक, रैली, लोक गीतों द्वारा उपलब्ध कराना।
☞ निरक्षरों को अनौपचारिक षिक्षा की जानकारी देना।
☞ निरक्षरों को घर-घर जाकर अथवा एकत्रित कर पढ़ाना।
10.5 मतदान के प्रति संचेतना - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों को मत का महत्व समझाते हुए उन्हें भविष्य में हर प्रकार के लोभ और भय को त्यागकर अनिवार्यतः मतदान में भाग लेने और सǔचे जन प्रतिनिधियों को मत देने हेतु प्रेरित किया जा सकता है।
☞ सर्वे कर मतदान के योग्य व्यक्तियों की जानकारी प्राप्त करना।
☞ व्यक्तियों को एकत्रित कर उन्हें मत के महत्व की जानकारी देना।
10.6 कानूनी साक्षरता - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों को यह बताना है कि आवष्यकता पड़ने पर वे कानून से कैसे सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
☞ प्रष्नोत्तर प्रपत्र द्वारा सर्वे कर नागरिकों के कानूनी ज्ञान की जानकारी प्राप्त करना।
☞ विधि विभाग से विधिक साक्षरता व्याख्यान अथवा गोष्ठी का आयोजन करवाना।
☞ दैनिक जीवन में होने वाले कार्यों से संबंधित कानूनों की जानकारी उपलब्ध कराना ।
10.7 उपभोक्ता संरक्षण - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों को सामान के क्रय-विक्रय अथवा सेवा पाने के समय जागरूक रहने और आवष्यकता पड़ने पर उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1986 का उपयोग करना सिखाया जा सकता है।
☞ उपभोक्ता संबंधी जानकारी स्थानीय नागरिकों को देना।
☞ विधि विभाग के सहयोग से उपभोक्ता कानून की जानकारी उपलब्ध करवाना।
☞ उपभोक्ता संरक्षण नियम 1986 का उपयोग ”नुक्कड़ नाटक“ का प्रदर्षन कर सिखाना।
10.8 अǔप बचत - विद्यार्थियों द्वारा अल्प बचत का महत्व बताते हुए नागरिकों में बचत करने की आदत विकसित की जा सकती है। इसके लिए विद्यार्थियों को बैंकों और पोस्ट ऑफिस की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी उन्हें उपलब्ध करानी होगी ।
☞ बचत की आवष्यकता के बारे में जानकारी देना।
☞ बचत खाता खोलने के लिये वित्त संस्थाओं की जानकारी उपलब्ध कराना।
☞ विभिन्न बैंकों द्वारा संचालित अल्प बचत योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराना।
☞ नागरिकों के बैंक अथवा पोस्ट ऑफिस में बचत खाते खुलवाना।
10.9 सरकारी योजनाओं की जानकारी - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों को केन्द्रीय/राज्य सरकार द्वारा संचालित जन-हितकारी योजनाओं से अवगत कराया जा सकता है। इसके लिए वे पोस्टर, पैमफ्लेट आदि उपयोग में ले सकते हैं। ये योजनाएं विषेशतौर से कृषि, तकनीकी, बिजली, स्वास्थ्य, षिक्षा, भवन निर्माण आदि से संबंधित हो सकती हैं।
☞ कृषि, तकनीकी, बिजली, स्वास्थ्य, षिक्षा, भवन निर्माण संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी संबंधित विभाग से प्राप्त करना।
☞ सरकारी योजनाओं से प्राप्त जानकारी के आधार पर पोस्टर, चार्ट एवं स्लोगन तैयार करना।
☞ पोस्टर, चार्ट एवं स्लोगन का चयनित स्थल पर प्रदर्षन करना।
☞ सरकारी योजनाओं की जानकारी रैली निकाल कर जन-जन तक पहुंचाना।
10.10 प्राथमिक उपचार का ज्ञान - विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न बीमारियों संबंधी प्राथमिक उपचार की जानकारी नागरिकों को दी जा सकती है। इसमें मौसमी बीमारियों को प्राथमिकता देना अपेक्षित है।
☞ प्राथमिक उपचार पेटी तैयार करना।
☞ नागरिकों को प्राथमिक उपचार की प्रायोगिक जानकारी कराना।
10.11 यातायात नियम - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों को सभी प्रकार के यातायात नियमों और चिह्नों का ज्ञान देना है ताकि वे भविष्य में किसी प्रकार की दुर्घटना से बच सकें।
☞ यातायात के नियमों की पोस्टर प्रदर्षन द्वारा जानकारी देना।
☞ यातायात चिह्नों की जानकारी देना।
☞ सर्वे द्वारा स्थानीय नागरिकों के ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी प्राप्त करना।
☞ समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए कैम्प लगाना।
10.12 प्राकृतिक आपदाओं में सावधानियाँ - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों को विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं यथा अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओलावृष्टि, भूकम्प, महामारी, भूस्खलन आदि के समय क्या-क्या सावधानियां बरती जा सकती हैं का ज्ञान कराया जा सकता है।
☞ प्राकृतिक आपदाओं के कारणों एवं विनाशकारी प्रभावों की जानकारी रैली द्वारा स्थानीय नागरिकों को देना।
☞ प्राकृतिक आपदाओं से बचने के उपायों तथा नियंत्रण की जानकारी व्याख्यान एवं पोस्टर द्वारा देना।
☞ वृक्षों की कटाई एवं भवनों के पास खनन कार्य को रोकने की कार्यवाही स्थानीय प्रषासन के सहयोग से करना।
10.13 ऋण की उपलǎधता - विद्यार्थियों द्वारा रोजगार अथवा घरेलू कार्य हेतु नागरिकों को तमाम ऋण योजनाओं से अवगत कराते हुए ऋण उपलब्ध कराये जा सकते हैं।
☞ बैंकों द्वारा दिये जा रहे ऋण की जानकारी उपलब्ध कराना।
☞ ऋण उपलब्ध कराने के लिये संबंधित फर्म, बैंक अथवा प्रषासनिक अधिकारी से सहयोग दिलवाना।
☞ ऋण प्राप्ति हेतु फार्म भरकर ऋण दिलवाना ।
10.14 अन्धविश्वासों का उन्मूलन - विद्यार्थियों द्वारा गांव/शहर में प्रचलित अंधविष्वासों यथा रात्रि के समय झाड़ू न लगाना बिल्ली के रास्ता काटने पर आगे नहीं बढ़ना, छींक आ जाने पर घर से नहीं निकलना, बीमार होने पर जादू-टोना करवाना आदि को दूर किया जाकर नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न किया जा सकता है।
☞ नागरिकों में व्याप्त अंधविष्वासों के बारे में विचार जानना।
☞ अंधविष्वासों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गलत सिद्ध करना।
10.15 सामाजिक बुराइयों का निवारण - विद्यार्थियों द्वारा गाँव/शहर में प्रचलित यथा दहेज प्रथा, बाल विवाह, मद्यपान, मृत्युभोज, छुआछूत, जातिप्रथा, सतीप्रथा, कन्यावध, भ्रूण हत्या, नारी षिक्षा का अभाव जैसी सामाजिक बुराइयों के अवगुणों का बखान कर इनसे दूर रहने की नागरिकों को सलाह दी जा सकती है।
☞ सामाजिक बुराइयों की हानि से अवगत कराना।
☞ सामाजिक बुराइयों से संबंधित समाचारों का संकलन कर प्रदर्षित करना।
☞ सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन सम्बन्धी कानून की जानकारी कराना।
☞ नुक्कड़ नाटक द्वारा सामाजिक बुराइयों की रोकथाम से अवगत कराना।
10.16 बुक बैंक की स्थापना - राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों को निःषुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवायी जाती हैं। अतः विद्यार्थियों से इन पाठ्यपुस्तकों को प्राप्त कर बुक बैंक में जमा कराया जाना अपेक्षित है।
☞ विद्यालय में बुक बैंक की स्थापना करवाना।
☞ बुक बैंक के लिये पाठ्यपुस्तक देने वाले विद्यार्थियों के नाम, विशय एवं कक्षा की सूची तैयार करना।
☞ विद्यार्थियों द्वारा सूची अनुसार पाठ्य पुस्तकें एकत्रित करना।
☞ विद्यार्थियों द्वारा सूची अनुसार बुक बैंक में उपलब्ध पुस्तकों का वितरण करना।
10.17 वाचनालय की व्यवस्था - विद्यार्थियों द्वारा वर्तमान में हो रहे ज्ञान के विस्फोट की नागरिकों को जानकारी कराने हेतु वाचनालय की व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए विद्यालय में आने वाली पत्र-पत्रिकाएं प्राप्त की जा सकती हैं। नागरिकों की कुछ आर्थिक मदद से भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ मंगवायी जा सकती हैं।
☞ नागरिकों के सहयोग से वाचनालय के लिए स्थान का चयन करना।
☞ विद्यालय पुस्तकालय से पुरानी पत्र-पत्रिकाएं एकत्रित करना।
☞ दानदाताओं द्वारा पत्र-पत्रिकाओं के लिए आर्थिक मदद मांगना।
☞ वाचनालय का समय निर्धारित कर संचालन करना।
10.18 चल पुस्तकालय का संचालन - विद्यार्थियों द्वारा अǔछी-अǔछी पुस्तकों का वाचन कर नागरिकों को नैतिक बातें बताने हेतु साइकिल पर चल पुस्तकालय का संचालन किया जा सकता है। इसके लिए विद्यालय पुस्तकालय से पुस्तकें प्राप्त की जा सकती हैं।
☞ चल पुस्तकालय की व्यवस्था करना।
☞ चल पुस्तकालय में विभिन्न आयामों की पुस्तकें रखना।
☞ चल पुस्तकालय का संचालन कर नागरिकों को पुस्तकें वितरित करना।
10.19 विद्यालय भवन का सौंदर्यीकरण - विद्यार्थियों द्वारा स्थानीय विद्यालय यथा राजकीय प्राथमिक/उǔच प्राथमिक/माध्यमिक/उǔच माध्यमिक के भवन का सौंदर्यकरण किया जा सकता है। इसके लिए बजट विद्यालय विकास समिति/जनसहयोग से जुटाया जाये।
☞ विद्यालय के विषेश स्थान जैसे पुस्तकालय, कक्षा-कक्ष, खेल मैदान, बगीचा, पीने के पानी का स्थान/टंकियांे आदि का चयन करना।
☞ चयनित स्थान की स्वǔछता के लिए कार्यवाही करना।
☞ फर्नीचर को साफ कर उन पर विद्यालय का नाम एवं क्रमांक अंकित करना।
☞ बिजली के पंखों की सफाई करना।
☞ कक्षा-कक्ष में नीचे की दीवारों पर पुताई करना।
☞ पीने के पानी की टंकियों को खाली कर साफ करना।
☞ पीने के पानी के स्थान को साफ रखने हेतु पानी के निकास की नाली, जो किसी पौधे या खुले स्थान पर खुलती हो, बनाना।
☞ बगीचे की गुढ़ाई करना, खर पतवार को निकालना और पानी देना।
10.20 सार्वजनिक स्थल की सफाई - विद्यार्थियों द्वारा स्थानीय सार्वजनिक स्थल यथा पनघट, मंदिर, धर्मषाला, मस्जिद, बस स्टेण्ड, अस्पताल आदि की सफाई की जा सकती है। गंदे पानी के गड्ढ़ों में फिनाइल एवं केरोसिन और कुओं/तालाबों/बावड़ी में लाल दवा भी छिड़क सकते हैं।
☞ स्थानीय सार्वजनिक स्थल का सफाई व्यवस्था हेतु चयन करना।
☞ सफाई व्यवस्था के लिए आवष्यकतानुसार संसाधन जुटाना।
☞ संसाधनों द्वारा स्थल की धार्मिक आस्था को बरकरार रखते हुए सफाई करना।
☞ सार्वजनिक स्थल के पास गंदे पानी के गड्ढ़ों को भरवाना, एकत्रित पानी पर केरोसिन और कुओं/तालाबों/बावड़ी मंे लाल दवा का छिड़काव करना।
10.21 सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण - विद्यार्थियों द्वारा गांव/शहर में स्थापित सांस्कृतिक धरोहरों यथा मंदिर, मस्जिद, छतरी, झीलों, तालाबों का संरक्षण किया जा सकता है।
☞ स्थानीय भ्रमण कर सांस्कृतिक स्थलों की जानकारी प्राप्त करना।
☞ चयनित धरोहरों की सफाई व्यवस्था करना।
☞ धरोहरों में जनसहयोग द्वारा आवष्यक सुधार करना।
10.22 विकासात्मक कार्य - विद्यार्थियों द्वारा गाँव/शहर में विकास के कई कार्यों यथा रास्ते ठीक करना, सड़क की मरम्मत करना, लिंक रोड का निर्माण करना, खाद के गड्ढ़े बनाना आदि बिना धन के भी सम्पादित किये जा सकते हैं। इसके लिए उन्हें मात्र श्रमदान करना है।
☞ आम रास्ते दुरुस्त करना।
☞ सड़कों के गड्ढ़ों को भरना।
☞ सड़क पर जैबरा लाइनों को ठीक करना।
☞ कǔची सड़क का निर्माण करना।
☞ तालाब, बावड़ियों एवं झीलों की सफाई करना।
☞ गड़्ढे तैयार कर बगीचों के लिए खाद बनाना।
☞ सार्वजनिक स्थल पर लिखे दिषानिर्देंषों को ठीक करना।
10.23 बीमारों की सेवा-सुश्रूकाा - विद्यार्थियों द्वारा घर पर निवास करने वाले अथवा अस्पताल में भर्ती बीमारों की सेवा-सुश्रूषा की जा सकती है। इसके लिए वे उन्हें समयानुसार दवाइयां दे सकते हैं पुरानी पत्र-पत्रिकाएं उपलब्ध कर दे सकते हैं। वार्ताओं द्वारा मनोरंजन करा सकते हैं, बǔचों को खिलौने उपलब्ध करा सकते हैं आदि। इसके अलावा कम्पाउन्डर/नर्सों का भी सहयोग किया जा सकता है।
☞ वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम, चिकित्सालय आदि में से स्थान का चयन करना।
☞ बुजुर्गों अथवा असहाय व्यक्तियों की जानकारी ज्ञात करना।
☞ समाज सेवी संस्थाओं द्वारा सम्पर्क कर आवष्यक दवाइयां, खाद्य पदार्थ आदि वितरित करना।
☞ पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने हेतु उपलब्ध कराना ।
☞ पत्र-पत्रिकाओं में से समाचार, कहानियाँ, कविताएँ आदि सुनाना।
☞ ज्ञान की बातें बता कर मन बहलाना।
10.24 लाचार व्यक्तियों की सेवा - विद्यार्थियों द्वारा गाँव/शहर में रहने वाले अपाहिज, अन्धे, बूढ़े जैसे लाचार व्यक्तियों की दैनिक सेवा की जा सकती है ताकि उनमें सुरक्षा, संतोश एवं आत्मविष्वास का भाव बना रह सके।
☞ सर्वें कर लाचार व्यक्तियों की जानकारी प्राप्त करना।
☞ लाचार व्यक्तियों की आवष्यकतानुसार दैनिक सेवा करना।
10.25 निरक्षरों के पत्र पढ़ना-लिखना - विद्यार्थियों द्वारा गांव/शहर में निरक्षर व्यक्तियों के आने वाले पत्रों को पढ़कर सुनाया जा सकता है और जाने वाले पत्रों को लिखकर डाक में डाला जा सकता है, परन्तु विद्यार्थियों से यह अपेक्षित है कि उनके समाचार अन्य किसी व्यक्ति को न बताये जायें।
☞ पत्रों को पढ़कर सुनाना ।
☞ पत्रों के जवाब लिखना।
☞ पत्रों को डाक में डालना।
☞ पत्रों के समाचारों को पूर्णतः गोपनीय रखना।
10.26 सार्वजनिक स्थल पर जल सेवा - विद्यार्थियों द्वारा स्थानीय सार्वजनिक स्थलों यथा बस स्टैण्ड, रेल्वे स्टेशन, अस्पताल आदि पर प्याऊ लगाकर जल सेवा की जा सकती है। इसके अलावा पक्षियों के लिए भी जगह-जगह पानी के छींके लटकाये जा सकते हैं। इस हेतु आवष्यक सामग्री की मदद नागरिकों से प्राप्त की जा सकती है।
☞ बस स्टैण्ड, अस्पताल आवष्यक स्थान पर स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग द्वारा प्याऊ लगाकर जल सेवा करना।
☞ रेल्वे स्टेशन/बस स्टैण्ड पर यात्रियों को जल उपलब्ध कराना ।
☞ पक्षियों के लिए पानी के छींके लटकाना।
10.27 समारोह-उत्सव में सहयोग - विद्यार्थियों द्वारा गांव/शहर में आयोजित समारोह-उत्सव यथा मेला, विवाह, प्रवचन आदि के समय संयोजकों का सहयोग किया जा सकता है।
☞ समारोह स्थल की सफाई करना।
☞ उपस्थित व्यक्तियों को स्थान उपलब्ध कराना।
☞ उपस्थित जनसमुदाय की जल सेवा कराना।
10.28 क्रीड़ा केन्द्र का संचालन - विद्यार्थियों द्वारा नागरिकों के लिए गाँव/शहर में प्रचलित खेलकूदों का आयोजन करवाया जा सकता है। कुछ खेलकूद ऐसे होते हैं जिनमें धन की आवष्यकता नहीं होती है उन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है। वर्तमान में योग के प्रति बड़ा रुझान है, अतः योग भी सिखाया जाना अपेक्षित है। इस हेतु क्रीड़ा केन्द्र संचालित किया जा सकता है।
☞ क्रीड़ा केन्द्र संचालन हेतु स्थान का चयन करना।
☞ जनसहयोग द्वारा खेलानुसार मैदान की व्यवस्था करना।
☞ खेल नियमों की जानकारी देना।
☞ खेल अभ्यास नियमित कराना।
☞ अंतिम दिवस प्रतियोगिता का आयोजन कर विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कृत करना।
10.29 वस्तुओं का निर्माण - विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न अनुपयोगी वस्तुओं से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करना नागरिकों को सिखाया जा सकता है जिससे वे अपना घर सजा सकते हैं अथवा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
☞ अनुपयोगी वस्तुओं द्वारा उपयोगी वस्तुओं के निर्माण की जानकारी प्राप्त करना।
☞ वस्तुओं के निर्माण की जानकारी प्रायोगिक रूप से देना/करवाना।
☞ नागरिकों से अनुपयोगी वस्तुएं एकत्रित करवा कर उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करवाना।
☞ निर्मित वस्तुओं को बिना लाभ-हानि के विक्रय करना।
10.30 सर्वेक्षण का कार्य - विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण यथा जनसंख्या साक्षर एवं निरक्षर, विद्यालय परित्याग करने वाले छात्र/छात्रा, कुटीर उद्योग, घरेलू उद्योग, कृषि उपज, पोलियो के टीके लगे षिषु, बेरोजगार आदि सम्पादित किये जा सकते हैं, ताकि राज्य सरकार द्वारा इन तथ्यों को जनसेवा कार्यों के उपयोग में लिया जा सकता है।
☞ सर्वेक्षण कार्य हेतु वांछित प्रपत्र अथवा रजिस्टर तैयार करना।
☞ वांछित प्रपत्र अथवा रजिस्टर अनुसार प्रत्येक घर का सर्वेक्षण करना।
☞ सर्वेक्षण से उपलब्ध जानकारी को संबंधित विभाग को उपलब्ध कराना।
11. मूल्यांकन
प्रत्येक विद्यार्थी का समाज सेवा योजना संबंधी मूल्यांकन उसके दलनायक षिक्षक द्वारा ही किया जायेगा। मूल्यांकन का आधार विद्यार्थी द्वारा गतिविधियों की क्रियान्विति और विद्यार्थी द्वारा संधारित दैनिक डायरी का अवलोकन होगा। ”मूल्यांकन निर्धारण मापनी विधि“ (रेटिंग स्केल मैथड) द्वारा निम्नानुसार करना है -
1. प्रत्येक गतिविधि के अग्रांकित मानदण्ड होंगे - (प) आयोजना (पप) प्रबंधन (पपप) क्रियान्विति, (पअ) निष्पादन एवं (अ) गुणवšाा। प्रत्येक मानदण्ड के मूल्यांकन हेतु 5 अंक निर्धारित किये गये हैं। प्रत्येक मानदण्ड के लिए कार्यस्तर अनुसार अंक प्रदान करने होंगे। इस प्रकार से प्रत्येक गतिविधि का मूल्यांकन 25 अंकों में से होगा।
2. प्रत्येक विद्यार्थी की कुल चार गतिविधियों के मूल्यांकन हेतु कुल पूर्णांक 100 होंगे।
3. प्रत्येक विद्यार्थी को 100 में से प्राप्ताकों के आधार पर निम्नानुसार ग्रेड प्रदान करनी होगी।
उपलब्धि सम्प्राप्ति स्तर ग्रेड
80 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक उत्कृष्ट ए
60 प्रतिशत से 79 प्रतिशत तक उत्तम बी
50 प्रतिशत से 59 प्रतिशत तक अच्छा सी
50 प्रतिशत से नीचे सामान्य डी
4. दलनायक षिक्षक द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी का परिषिष्ट-1 के अनुसार ‘समाज सेवा योजना मूल्यांकन प्रपत्र’ तैयार करना होगा।
12. अंकतालिका / प्रमाण-पत्र
संस्था प्रधान सत्रांक के साथ प्रत्येक विद्यार्थी की समाज सेवा योजना की ग्रेड सचिव, माध्यमिक षिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर को प्रेषित करेंगे जिसका उल्लेख बोर्ड द्वारा प्रदšा उǔच माध्यमिक परीक्षा की अंकतालिका/प्रमाण-पत्र में किया जायेगा। राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) से जुड़े विद्यार्थियों के लिये राष्ट्रीय सेवा योजना में भाग लिया का उल्लेख किया जायेगा।
13. उपसंहार
सǔची षिक्षा वही है जो विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करने हेतु सतत् प्रयत्नषील रहे और ऐसी गतिविधियों का कुशलतापूर्वक संचालन करे जो उन्हें समर्पण बोध से सराबोर कर सके, मनसा-वाचा-कर्मणा से स्वस्थ बना सके और उनमें सेवा भावना जाग्रत कर सके। वैसे भी दूसरों की सेवा करना सर्वश्रेष्ठ मानवीय धर्म माना गया है। तुलसीदासजी ने भी यही संदेश दिया है, ”परहित सरिस धर्म नहीं भाई“ । इस प्रकार से कक्षा ग्यारह उत्तीर्ण विद्यार्थियों का ग्रीष्मावकाश में समाज सेवा की गतिविधियों से अन्तःस्थल से जुड़ना अपेक्षित है।
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