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SMC and SDMC
कार्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर के आदेश दिनांक: 21.01.15 के द्वारा समस्त राजकीय माध्यमिक / उच्च माध्यमिक
विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 तक के लिए विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (SDMC)
तथा कक्षा 1-8 तक के लिये विद्यालय प्रबन्धन समिति (SMC) के गठन के आदेश जारी किये गये हैं। इन आदेशों के
अनुसार विद्यालय प्रबन्धन समिति द्वारा कक्षा 1-8 तक की कक्षाओं में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ सर्व शिक्षा
अभियान तथा मिड-डे-मील की राशि की प्राप्ति व व्यय का लेखा जोखा पृथक से संधारित किया जायेगा।
विद्यालय प्रबन्धन समिति का गठन पूर्व प्रदत्त आदेशों के अनुसार ही होगा।
माध्यमिक / उच्च माध्यमिक
विद्यालयों में कक्षा 9-12 के
विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार एवं विद्यालय भवन के विकास सम्बन्धी
कार्य विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (SDMC) द्वारा किये जायेंगे। इसके साथ ही RMSA से प्राप्त अनुदान विकास शुल्क एवं अन्य प्राप्त होने वाली
राशियों का लेनदेन / लेखा-जोखा इस समिति द्वारा संधारित किया जायेगा। विद्यालय
विकास एवं प्रबन्धन समिति (SDMC) तथा
अन्य उप समितियों के गठन हेतु संरचना एवं इनके दायित्व शासन की स्वीकृति क्रमांक
प.17 (22) शिक्षा 1 / 2016 जयपुर दिनांक 01.07.2016 के क्रम में आंशिक संशोधनोपरान्त एतद् द्वारा निर्धारित किए
जाते हैं |
1. School
Development and Management Committee (SDMC) की कार्यकारिणी समिति की सरंचना (RMSA गाइडलाइन के अनुसार) -
1. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक = अध्यक्ष
2. अभिभावकों में से एससी/
एसटी समुदाय
के प्रतिनिधि = 2 सदस्य
3. अभिभावकों में से महिला
प्रतिनिधि = 2 सदस्य
4. अभिभावकों में से अन्य
प्रतिनिधि = 2 सदस्य
5. सामाजिक विज्ञान का
अध्यापक प्रतिनिधि = 1 सदस्य
6. विज्ञान का अध्यापक
प्रतिनिधि = 1 सदस्य
7. गणित का अध्यापक प्रतिनिधि
= 1 सदस्य
8. पंचायत / शहरी स्थानीय
निकाय के प्रतिनिधि सदस्य = 2 सदस्य
9.ऑडिट व वित्त विभाग का एक
व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक) प्रतिनिधि
= 1 सदस्य
10. शैक्षिक रूप से पिछड़े
अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधि = 1 सदस्य
11. महिला समूहों में से
प्रतिनिधि सदस्य = 1 सदस्य
12 ग्राम शिक्षा विकास समिति
का सदस्य / शिक्षा विद = 1 सदस्य
13. विज्ञान, मानविकी एवं कला / संस्कृति / क्राफ्ट की पृष्ठभूमि वाले (जिला परियोजना समन्वयक
द्वारा मनोनीत ) प्रतिनिधि = 1 सदस्य
14. जिला शिक्षा अधिकारी
द्वारा मनोनीत अधिकारी = 1 सदस्य
15. विद्यार्थी प्रतिनिधि
= 2 सदस्य
16. विधायक प्रतिनिधि =
2 सदस्य
17. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर)
(वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि में / वरिष्ठतम
वरिष्ठ अध्यापक
मावि में) = सदस्य सचिव
कुल सदस्य = 23 सदस्य
(I) विद्यालय द्वारा नॉन रेकरिंग मद में खरीद करने पर बीईईओ /
डीपीसी कार्यालय लेखाकार / कनिष्ठ लेखाकार को सदस्य रूप में मनोनीत किया जाये।
(II) विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति के निर्धारित सदस्यों में से
कम से कम एक सदस्य ऐसा हो, जो
एसएमसी में भी संदस्य हो एवं कुल SDMC सदस्यों
में से कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्य हों |
(III) SDMC की कार्यकारिणी समिति का
कार्यकाल दो शैक्षिक सत्र हेतु होगा। तत्पश्चात् नवीन चयन होगा।
(IV) सत्रारम्भ में SDMC के
गठन के लिये साधारण सभा की बैठक जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित की जाये। उक्त
बैठक में साधारणतया सर्वसम्मति से सदस्यों का मनोनयन किया जाये। जहां सर्वसम्मति न
हो पाये, वहां उपस्थित सदस्यों में से
बहुमत की राय को प्राथमिकता दी जावे।
(V) प्रत्येक बैठक की
अध्यक्षता के लिये सभाध्यक्ष प्रस्तावित किया जाये जो कि स्थानीय समुदाय से होना
चाहिए।
(VI) SDMC गठन के उपरान्त एक बोर्ड तैयार कर सभी कार्यकारिणी
सदस्यों के नाम, पता एवं दूरभाष / मोबाईल
नम्बर सर्व साधारण हेतु उपलब्ध कराए जाएं।
2. SDMC के
कार्य एवं दायित्व निम्नानुसार होंगे:
• विद्यालय की विद्यालय
विकास योजना प्रतिवर्ष 31 जुलाई
से पूर्व तैयार करना |
• राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा
अभियान के निम्नांकित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्य योजना बनाकर लक्ष्य प्राप्त करना :
I) विद्यालय की नामांकन दर आदर्श नामांकन संख्या तक लाना।
II) माध्यमिक स्तर की ड्रॉप
आउट दर 25 प्रतिशत से नीचे लाना।
III) विद्यार्थी के सर्वांगीण
विकास के लिये भौतिक, मानवीय सांस्कृतिक एवं
सामाजिक संसाधन
उपलब्ध कराना, जिससे कि विद्यार्थी
विद्यालय के शैक्षिक एवं सहशैक्षिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके तथा विद्यालय का समाज के साथ सह
सम्बन्ध स्थापित
हो सके।
• अगस्त माह के प्रथम सप्ताह
में तैयार की गई विद्यालय योजना को शाला दर्पण में आवश्यक 'रूप' से अपलोड करवाया जाकर उसकी
एक प्रति विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।
• प्रत्येक तीन माह में
विद्यालय योजना की प्रगति शाला दर्पण पर अपलोड करवाकर विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर
चस्पा करवाना।
(बी) वित्तीय प्रबंधन
::
I) समिति द्वारा आरएमएसए के
खाते में प्राप्त राशि का रिकार्ड संधारण किया जाएगा |
II) समिति अपने कोष का उपयोग
रेकरिंग एवं नॉन रंकरिंग मदों में कर सकेगी।
III) समिति केन्द्र / राज्य
सरकार के वित्तीय मैनुअल के अनुसार व्यय कर सकेगी।
IV) बैंक खाते से लेन देन
समिति के अध्यक्ष व सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किये
जायेंगे किसी भी स्थिति में एकल
हस्ताक्षर से बैंक से लेन देन नहीं किया जायेगा।
V) समिति की प्रत्येक बैठक
में नियमित रूप से वित्तीय लेखों का अनुमोदन कराया जायेगा।
VI) SDMC की सलाह से ही विद्यालय की
वार्षिक सहायता राशि, विद्यार्थी कोष तथा विकास शुल्क का उपयोग किया जाएगा।
(सी) बैठकों का आयोजन
::
I) कार्यकारिणी समिति की
मासिक बैठक प्रत्येक अमावस्या को रखी जायेगी, जिसका कोरम न्यूनतम 50
प्रतिशत कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति से ही पूर्ण होगा।
II) समिति की कार्यकारिणी की
बैठक हेतु प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक द्वारा सभी सदस्यों को दो सप्ताह पूर्व लिखित में एवं एस.
एम. एस. द्वारा सूचित किया जावेगा।
III) समिति की सभी गतिविधियों
की प्रगति की सूचना प्रत्येक तीन माह में शाला दर्पण पर अद्यतन की जाएगी |
IV) SDMC की प्रत्येक बैठक के
कार्यवाही विवरण का संधारण निम्न प्रारूप में नियमित रूप से एक रजिस्टर में किया
जायेगा |
प्रारूप ::
1. बैठक
की दिनांक
2. सभाध्यक्ष का नाम
3. बैठक उपस्थित सदस्यो की
संख्या
4. बैठक में लिये गए
प्रस्ताव
5. प्रस्ताव प्रस्तुत करने
वालों की संख्या
6. प्रस्ताव प्रस्तुत करने
वालों में महिलाओं की संख्या
3. उप
समितियों का गठन एवं दायित्व ::
(अ) विद्यालय भवन उप समिति
(School Building Commitee) की
संरचना :
1. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक = अध्यक्ष
2. पंचायत या स्थानीय शहरी
निकाय का प्रतिनिधि =1 सदस्य
3. अभिभावक प्रतिनिधि =1 सदस्य
4. निर्माण कार्य से जुड़े
अनुभवी / तकनीकी व्यक्ति (JEN, RMSA/SSA)
=1 सदस्य
5. लेखा / ऑडिट शाखा का
प्रतिनिधि व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक) =1 सदस्य
6. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर) (वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि में / वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक-मावि
में) =1 सदस्य सचिव
भवन उप समिति के कार्य :-
भवन निर्माण एवं मेजर रिपेयर हेतु योजना बनाना विद्यालय भवन का प्रबन्धन एवं
संचालन, मॉनिटरिंग, पर्यवेक्षण रिपोर्टिंग, लेखों
का संधारण, लेखों की मासिक रिपोर्ट
बनाना आदि कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होगी, जिसकी रिपोर्ट SDMC को
नियमित रूप से की जायेगी।
वह समिति निर्माण कार्यों
को वित्तीय नियमानुसार अनुबंध पर करवा सकेगी अथवा स्वयं भी कर सकेगी।
(ब) शैक्षिक उप समिति (School
Academic Commitee) की संरचना :
1. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक = अध्यक्ष
2. अभिभावक प्रतिनिधि = 1 सदस्य
3. निम्न में से प्रत्येक
क्षेत्र का एक विशेषज्ञ : i) विज्ञान
या गणित ii.) मानविकी iii.) कला
/ संस्कृति / क्रांपट / खेलकूद iv) भाषा विशेषज्ञ = 4 सदस्य
4. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक द्वारा मनोनीत विद्यार्थी =
1 सदस्य
5. प्रधानाचार्य /
प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर) (वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि
में / वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक मावि में) =1 सदस्य सचिव
शैक्षिक उप समिति के कार्य
:
1. शैक्षिक गतिविधियों की
कार्य योजना निर्माण एवं प्रभावी क्रियान्वयन |
2. शैक्षिक गतिविधियों की
मूल्यांकन रिपोर्ट्स की समीक्षा एवं सुझावों का परीक्षण उपरान्त् आगामी कार्य
योजना में सम्मिलित करने हेतु अनुशंषा |
3. शैक्षिक गुणवत्ता सुधार
हेतु समयबद्ध कार्ययोजना निर्माण एवं क्रियान्वयन |
4. शैक्षिक समकों का
विश्लेषण एवं निम्न उपलब्धि के क्षेत्रों में संबलन हेतु प्रस्तुत करना |
5. मासिक
/ त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट्स की समीक्षा एवं फॉलो अप कार्यवाही हेतु सुझाव |
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